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देवी माहात्म्यं अपराध क्षमापणा स्तोत्रम्
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा।।
देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नामावलि
देवी माहात्म्यं अपराध क्षमापणा स्तोत्रम्
मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम् ।
क्लींकारी काल-रूपिण्यै, बीजरूपे नमोऽस्तु ते।।
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु ॥ १० ॥
दकारादि दुर्गा अष्टोत्तर शत नामावलि
यस्तु कुंजिकया देवि हीनां सप्तशतीं पठेत् ।
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय read more दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा॥
श्री अन्नपूर्णा अष्टोत्तरशत नाम्स्तोत्रम्
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वितीयोऽध्यायः
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति षष्ठोऽध्यायः
हुं हु हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी।